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Sindoor Ka Mahatva - सिंदूर का महत्व। |
Sindoor Ka Mahatva - हिन्दू धर्म में विवाह सिर्फ़ दो लोगों का संबंध नहीं बल्कि यह सात फेरे सात जन्मों तक सुख और दुःख में साथ निभाने का कसम होता है।
विवाह भी तभी संपन्न होता है जब, सात फेरे, कन्यादान और सिन्दूरदान होता है। आदि काल से ही सनातन धर्म में सिंदुर का उपयोग होता रहा है।
आखिर क्यों सिंदुर इतना महत्वपूर्ण है? क्यूं स्त्रियों को लगाना चाहिए सिंदूर? क्या है सनातन धर्म में Sindoor Ka Mahatva आईए जानते हैं।
नमस्कार दोस्तों मैं Jay Pandey आपका स्वागत करता हूं आपके अपने ही ब्लॉग www.jaypandey111.blogspot.com पर।
Sindoor Ka Mahatva - सिंदूर का महत्व।
मुख्यत: तीन कारणों से Sindoor Ka mahatva सनातन धर्म में अधिक है। सर्वप्रथम जगत जननी मां दुर्गा को सिंदुर बहुत पसंद है। कहते हैं जो भी स्त्री नित्य कर्म कर सर्वप्रथम मां दुर्गा को सिंदुर समर्पित कर स्वयं लगाती है।
उसका सुहाग सदैव सुरक्षित रहता है और पति पत्नी में सदा प्यार बना रहता है। माता के आशीर्वाद से घर में सर्व सुख बरसता रहता है। कभी भी पति पत्नी में दूरियां नहीं बल्कि एक दूसरे के प्रति आदर सम्मान और चाह बना रहता है।
घर में आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। दुःख और दरिद्रता स्वयं अपने आप खत्म होने लगतीं है। इसलिए सनातन धर्म में Sindoor Ka Mahatva बहुत है। दूसरा कारण त्रेता युग से अर्थात् रामायण युग से है।
जिसमें माता सीता जब सिंदुर लगाती है तो हनुमान जी माता सीताजी से प्रश्न करते हैं कि, वे सिंदुर क्यूं लगाती है? तब माता ने Sindoor Ka Mahatva हनुमान जी को समझाते हुए कहा कि सिंदुर मैं इसलिए लगाती हूं,
ताकि प्रभु श्री राम की उम्र लंबी हो और वो सुरक्षित रहें। माता सीता के मुख से Sindoor Ka Mahatva सुनते ही, श्री राम भक्त हनुमान जी ने अपने प्रभु के लंबी आयु के लिए अपने सम्पूर्ण शरीर पर सिंदूर लगा लिया।
उनको लगा कि माता तो प्रभु श्री राम की लंबी आयु के लिए इतना सा लगाती हैं मैं तो पूरे शरीर पर एक साथ लगाऊंगा जिससे उनकी उम्र और लंबी हो। तभी से हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाते हैं। तो दोस्तों ये है Sindoor Ka Mahatva।
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मां जगदम्बा और हनुमान जी |
Sindoor: क्यों शादी के बाद महिलाएं मांग में लगाती हैं सिंदूर?
तीसरा Sindoor Ka Mahatva का कारण भी त्रेता युग से ही है। रामायण मेँ एक प्रसंग आता है जब बालि और सुग्रीव के बीच युध्द हो रहा था। तब भगवान श्री राम ने बालि को पहली बार में नहीं मारा।
जब बालि के हाथों मार खाकर सुग्रीव भगवान श्री राम के पास पहुँचे तो, भगवान श्री राम ने कहा की तुम्हारी और बालि की शक्ल एक सी है, इसिलिये मैँ भ्रमित हो गया।
अब आप ही बताइये भगवान श्री राम के नजरों से भला कोई छुप सकता है क्या? असली बात तो यह थी कि जब भगवान श्री राम ने यह देख लिया कि, बालि की पत्नी तारा का माँग सिन्दूर से भरा हुआ है।
तो उन्होने सिन्दूर का सम्मान करते हुये बालि को नही मारा। परंतु दूसरी बार जब सुग्रीव ने बालि को ललकारा तब तारा स्नान कर रही थी। उसी समय भगवान ने देखा की मौका अच्छा है, और बाण छोड दिया।
अब आप ही बताइये की जब माँग मेँ सिन्दूर भरा हो तो, परमात्मा भी उसको नही मारते। फिर उनके सिवाय कोई और क्या मारेगा। आजकल फैशन चल रहा है सिन्दूर न लगाने की या, हल्का लगाने की या बीच माँग मेँ न लगाकर किनारे की तरफ लगाने की।
आईए आगे बताते हैं सिन्दूर लगाने के कुछ नियम और फ़ायदे जिससे आपको और अधिक Sindoor Ka Mahatva का पता चले। सिंदूर में पारा धातु पाया जाता है। इस धातु की अधिकता से चेहरे पर झुर्रियां नहीं आती हैं।
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बालि का वध |
Sindoor Ke Vaigyanik Fayde - सिंदूर लगाने की सही विधि
सिंदूर लगाने से दिमाग शांत रहता है। साथ ही उच्च रक्तचाप भी कंट्रोल में रहता है। वहीं, नजर और बुरी बला को टालने के लिए भी महिलाएं मांग में सिंदूर लगाती हैं।
यदि पत्नी के माँग के बीचो बीच सिन्दूर लगा हुआ है तो उसके पति की अकाल मृत्यू नही होती है। जो स्त्री अपने माँग के सिन्दूर को बालों से छिपा लेती है उसका पति समाज में छिप जाता है।
जो स्त्री बीच माँग मेँ सिन्दूर न लगाकर किनारे की तरफ सिन्दूर लगाती है उसका पति उससे किनारा कर लेता है। यदि स्त्री के बीच माँग मेँ सिन्दूर भरा है तो उसके पति की आयु लम्बी होती है।
मां जगदम्बा के आशीर्वाद से घर में सुख शांति आती है। पति पत्नी में एक दूसरे के लिए अधिक प्यार रहता है। आशा करता हुँ की मेरे इस पोस्ट से आप लोग सिन्दूर का महत्व समझ गयीं होंगी।
अपने पति की लम्बी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिये अपने पति के नाम का सिन्दूर अपने माँग मेँ भरेगीं। यह भले ही आप के हिसाब से भद्दा लगता हो। परंतु एक स्त्री का परम सौंदर्य सिंदूर ही है।
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सिंदूर लगाने का नियम |
Striyan Sindoor kyun lagati hain - क्यूं स्त्रियों को लगाना चाहिए सिंदूर?
क्योंकि अगर सिंदूर नहीं है तो स्त्री बहुत ही सुंदर क्यों ना हो उसका कोई महत्व नहीं होता। उसकी कोई पहचान नहीं होती। इस वजह से आप सभी से हाथ जोड़कर विनम्र निवेदन है कि अपने परंपरा का ख्याल रखें।
हमारे पूर्वज हमें इसे अभिशाप नहीं एक वरदान समझकर प्रयोग किया करते थे। इसलिए आप मॉडर्न जरूर बने परंतु अपनी परंपराओं का अवश्य ख्याल रखें।
आपकी पहचान आपका अपने धार्मिक परंपराओं में कितना विश्वास है उससे होती है। हम हिंदुस्तान के रहने वाले हैं इसलिए अपनी परंपराओं का ध्यान हमें रखना होगा।
क्योंकि हमारी पहचान उसी से होती है। हम अपने अंदर पश्चिमी देशों का ज्यादा से ज्यादा आदतें भरते जा रहे हैं, यह हमारे लिए घातक सिद्ध होगा।
Sindoor Ka Mahatva का पोस्ट कैसा लगा जरुर कॉमेंट करें और अपने सुहाग के लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए अपने मांग में सीधा सिंदूर भरें। पोस्ट को शेयर करें जिससे अन्य लोगों को भी जानकारी मिले धन्यवाद।
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जय लक्ष्मीनारायण जी