Peeple Ka Mahatva - पीपल का महत्त्व

Peeple Ka Mahatva: पीपल वृक्ष की पूजा क्यों होती है? शनि देव काले व लंगड़े क्यों हैं? शनि भगवान 5 साल तक किसी भी बच्चे पर अपना प्रभाव क्यो नहीं दे पाते हैं?
Peeple Ka Mahatva - पीपल का महत्त्व

Peeple Ka Mahatva: पीपल (Peeple) में जल चढ़ाने से क्या सच में भगवान शनि का प्रकोप कम होता है? अगर कम होता है तो क्यों? इसके पीछे क्या कारण है, जो पीपल के वृक्ष को इतना महान बनाता है?

क्यों शनि भगवान 5 साल तक किसी भी बच्चे पर अपना प्रभाव नहीं दे पाते? शनि देव काले क्यों हैं, एक पैर से थोड़े लंगड़े भी क्यों हैं?

नमस्कार दोस्तों मैं Jay Pandey आपका स्वागत करता हूं आपके अपने ब्लॉग www.jaypandey111.blogspot.com पर।

दोस्तों आज के आर्टिकल में आपको एक बहुत ही सुन्दर (Peeple) पीपल के वृक्ष की जानकारी दूंगा। जानकारी के लिए इस पोस्ट के साथ शुरू से लेकर आखिरी तक जरूर बने रहें।

Peeple Ka Mahatva - पीपल का महत्व।

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एक बार की बात है, जब महर्षि दधिचि ने अपने हड्डियों का दान कर दिया असुरों के संहार के लिए। तब श्मशान में महर्षि दधीचि के मांसपिंड का दाह संस्कार हो रहा था।

उनकी पत्नी अपने पति का वियोग सहन नहीं कर पायीं और पास में ही स्थित विशाल पीपल वृक्ष के कोटर में 3 वर्ष के बालक को रख, स्वयं चिता में बैठकर सती हो गयीं।

इस प्रकार महर्षि दधीचि और उनकी पत्नी का बलिदान हो गया। किन्तु पीपल के कोटर में रखा बालक भूख प्यास से तड़प-तड़प कर चिल्लाने लगा।

जब कोई वस्तु नहीं मिली तो कोटर में गिरे पीपल (Peeple) के गोदों अर्थात फल को खाकर बड़ा होने लगा। कालान्तर में पीपल के पत्तों और फलों को खाकर बालक का जीवन येन-केन प्रकारेण सुरक्षित रहा।

एक दिन देवर्षि नारद वहाँ से गुजरे। नारद ने पीपल के कोटर में बालक को देखकर उसका परिचय पूंछा- नारद- बालक तुम कौन हो? बालक- यही तो मैं भी जानना चाहता हूँ।

नारद- तुम्हारे जनक कौन हैं? बालक - यही तो मैं जानना चाहता हूँ। तब नारद ने ध्यान धर देखा। नारद ने आश्चर्यचकित हो बताया कि हे बालक! तुम महान दानी महर्षि दधीचि के पुत्र हो।

Peeple Ka Mahatva: पीपल वृक्ष की पूजा क्यों होती है? शनि देव काले व लंगड़े क्यों हैं? शनि भगवान 5 साल तक किसी भी बच्चे पर अपना प्रभाव क्यो नहीं दे पाते हैं?
पिप्पलाद ऋषि व मुनि नारद
Peeple se Pipplad ka namkarn - पीपल से पिप्पलाद ऋषि का नाम

तुम्हारे पिता की अस्थियों का वज्र बनाकर ही देवताओं ने असुरों पर विजय पायी थी। नारद ने बताया कि तुम्हारे पिता दधीचि की मृत्यु मात्र 31 वर्ष की वय में ही हो गयी थी।

बालक - मेरे पिता की अकाल मृत्यु का कारण क्या था? नारद - तुम्हारे पिता पर शनिदेव की महादशा थी। बालक - मेरे ऊपर आयी विपत्ति का कारण क्या था? नारद - शनिदेव की महादशा।

इतना बताकर देवर्षि नारद ने पीपल के पत्तों और गोदों को खाकर जीने वाले बालक का नाम पिप्पलाद रखा और उसे दीक्षित किया। नारद के जाने के बाद बालक पिप्पलाद ने नारद के बताए अनुसार ब्रह्मा जी की घोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया।

Pipplad ji ki tapsya - पिप्पलाद ऋषि द्वारा ब्रह्मा जी का घोर तप से वर पाना।

ब्रह्मा जी ने जब बालक पिप्पलाद से वर मांगने को कहा तो पिप्पलाद ने अपनी दृष्टि मात्र से किसी भी वस्तु को जलाने की शक्ति माँगी। ब्रह्मा जी से वर मिलने पर सर्वप्रथम पिप्पलाद ने शनि देव का आह्वाहन किया।

अपने सम्मुख प्रस्तुत शनि देव को देख पिप्पलाद जी ने आँखे खोलकर भष्म करना शुरू कर दिया। शनिदेव सशरीर जलने लगे। ब्रह्मांड में कोलाहल मच गया। सूर्यपुत्र शनि की रक्षा में सारे देव विफल हो गए। 

सूर्य भी अपनी आंखों के सामने अपने पुत्र को जलता हुआ देखकर ब्रह्मा जी से बचाने हेतु विनय करने लगे। अन्ततः ब्रह्मा जी स्वयम् पिप्पलाद के सम्मुख पधारे और शनिदेव को छोड़ने की बात कही।

किन्तु पिप्पलाद तैयार नहीं हुए। ब्रह्मा जी ने एक के बदले दो वर मांगने की बात कही। तब पिप्पलाद ने खुश होकर निम्नवत दो वरदान मांगे - 

Peeple Ka Mahatva: पीपल वृक्ष की पूजा क्यों होती है? शनि देव काले व लंगड़े क्यों हैं? शनि भगवान 5 साल तक किसी भी बच्चे पर अपना प्रभाव क्यो नहीं दे पाते हैं?
शनि देव जी

सूर्योदय के पूर्व पीपल वृक्ष पर जल क्यों चढ़ाया जाता है?

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1- जन्म से 5 वर्ष तक किसी भी बालक की कुंडली में शनि का स्थान नहीं होगा। जिससे कोई और बालक मेरे जैसा अनाथ न हो। 

2- मुझ अनाथ को शरण पीपल वृक्ष ने दी है। अतः जो भी व्यक्ति सूर्योदय के पूर्व पीपल (Piple) वृक्ष पर जल चढ़ाएगा उसपर शनि की महादशा का असर नहीं होगा।

ब्रह्मा जी ने तथास्तु कह वरदान दिया। तब पिप्पलाद ने जलते हुए शनि को अपने ब्रह्मदण्ड से उनके पैरों पर आघात करके उन्हें मुक्त कर दिया। जिससे शनिदेव के पैर क्षतिग्रस्त हो गए और वे पहले जैसी तेजी से चलने लायक नहीं रहे।

अतः तभी से शनि "शनै:चरति य: शनैश्चर:" अर्थात जो धीरे चलता है वही शनैश्चर है, कहलाये और शनि आग में जलने के कारण काली काया वाले अंग भंग रूप में हो गए।

सम्प्रति शनि की काली मूर्ति और पीपल वृक्ष की पूजा का यही धार्मिक हेतु है। आगे चलकर पिप्पलाद ने प्रश्न उपनिषद की रचना की, जो आज भी ज्ञान का वृहद भंडार है। इसलिए हिंदू धर्म में Peeple ka mahtva बहुत है।

Peeple ki Pooja - पीपल वृक्ष की पूजा क्यों करते हैं?

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जय लक्ष्मीनारायण जी

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जय लक्ष्मीनारायण जी

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