Rakshas aur Yakhsa Ki Kahani - राक्षस और यक्ष की कहानी।

Rakshas aur Yakhsa Ki Kahani - राक्षस और यक्ष की कहानी।
राक्षस और यक्ष की कहानी

Rakshas Aur Yakhsa: मित्रों जब इस सृष्टि की रचना हुई तब से अब तक वैज्ञानिकों द्वारा कई सोध अब तक किया जा चुका है कि मनुष्य का जन्म कैसे हुआ?
 
लेकिन आज तक इसका शायद ही कोई ठोस सबूत मिल पाया। लेकिन हमारे धर्म ग्रंथों में वर्णित है कि मनुष्य को ब्रह्मा जी ने बनाया।

लेकिन मित्रों ब्रह्मा जी ने सिर्फ़ हमे ही नहीं बनाए, बल्कि अन्य कई तरह के भी निर्माण किए। जिनमें से दो हैं Rakshas Aur Yakhsa।

जी हां राक्षस और यक्ष भी ब्रह्मा जी ने ही बनाया है। आईए जानते हैं कि आखिर ब्रह्मा जी द्वारा Rakshas Aur Yakhsa ki Utpatti Kaise Hui?

नमस्कार दोस्तों मैं JAY PANDEY आपका स्वागत करता हूं आपके अपने वेबसाईट www.jaypandey.in पर। दोस्तों आज मैं आपको अपने धर्म ग्रंथों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बताऊंगा कि Rakshas Aur Yaksha Kaise Janm Liye?

जैसा कि आप जानते हैं श्री राम और रावण युद्ध के बारे में परंतु भगवान श्रीराम ने अपने शत्रु रावण की शक्तियों तथा लंका के बारे में जानने के लिए अगस्त्य मुनि से युद्ध से पूर्व ही एकबार प्रश्न किया था।

तब अगस्त्य मुनि भगवान श्री राम को सारा वृत्तान्त सुनाते हुए कहा लंका में रावण से पहले भी राक्षस ही रहते थे।

परंतु जब भगवान श्री राम ने, अगस्त्य मुनि से यह सुना की, लंका पहले राक्षसों की ही नगरी थी तो, उन्होने उनके बारे में जानने की इच्छा जताई।
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Rakshas aur Yakhsa Ki Kahani - राक्षस और यक्ष की कहानी।

अगस्त्य जी को मन में यह सोचकर, अत्यंत आश्चर्य हुआ कि, सर्वज्ञ होते हुए भी राघव, मुझसे यह सब कुछ क्यों पूछ रहे है?

उसके बाद उन्होंने, कहना शुरू किया- अर्थात्! पूर्वकाल में जल द्वारा उत्पन्न हुए, कमल पर प्रकट प्रजा पति ब्रह्मा जी ने, सर्वप्रथम जल की सृष्टि की। उसके बाद उसकी रक्षा करने के लिए, विभिन्न प्रकार के जल-जीव उत्पन्न किए।

लेकिन यदि जल-जीव, भूख और प्यास के कारण, व्याकुल हो तो क्या करे? वे जल-जीव यह कहते हुए, अपने उत्पन्न कर्ता ब्रह्मा जी, के पास विनीत भाव से जाकर, खड़े हो गए।

हे सम्मान दायक राघवेन्द्र! ब्रह्मा जी ने उन सबको, हंसकर संबोधित करते हुए कहा- यत्न करके इस जल की, रक्षा करो।

इस बात को सुनकर, भूखे-प्यासे जीव-जन्तुओं में से कुछ ने कहा- हम इस जल की रक्षा करेंगे। कुछ ने कहा- हम इस जल का यक्षण, अर्थात् पूजन करेंगे।

तत्पश्चात् ब्रह्मा जी बोले- तुम सबमें से, जिन्होंने रक्षण करने की बात कही है, वे सभी 'राक्षस' नाम से प्रसिद्ध होंगे, तथा जिन्होंने यक्षण, अर्थात पूजन की बात कही है। ये सब यक्ष, के नाम से प्रसिद्ध होंगे।

इस प्रकार वे जीव 'राक्षस' तथा 'यक्ष', (Rakshas Aur Yaksha) दो जातियों में विभक्त हो गए। उनमें से 'हेति' और 'प्रहेति नाम के, दो भाई राक्षस जाति के, राजा बने।

ये मधु-कैटभ के समान, शत्रुओं का दमन करने में, शक्तिशाली थे। उनमें प्रहेति धर्मात्मा था, अतह वह तपस्या करने के उद्देश्य से, तपोवन में चला गया। लेकिन हेति ने, स्त्री को पाने के लिए, बहुत प्रयत्न किया।

Rakshas aur Yakhsa Ki Kahani - राक्षस और यक्ष की कहानी।
ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि रचना

Rakshas Aur Yaksh Ki Utpatti - राक्षस और यक्ष की उत्पत्ति।

अर्थात्! वह बहुत अधिक, बुद्धिमान और आत्मबल, से सम्पन्न था। उसने काल की कुमारी बहन, भया से, स्वयं याचना करके, विवाह किया, जो स्वयं ही महा भयानक थी।

उसने राक्षस राज हेति के द्वारा, एक पुत्र को जन्म दिया। विद्युत्केश, नाम के उस पुत्र के कारण, हेति पुत्रवानों में श्रेष्ठ, समझा जाने लगा। उसका पुत्र विद्युत्केश, प्रदीप्त सूर्य के समान प्रकाश वान था।

वह परम तेजस्वी बालक, जल में कमल की तरह, दिन-रात बढ़ने लगा। श्रेष्ठ निशाचर विद्युत्केश, जब युवावस्था में पहुंचा तो, उसके पिता ने उसका विवाह, करने का निश्चय किया।

उसने उसकी माता के समान प्रभाव शालिनी, संध्या की पुत्री का, उसके लिए चयन किया। संध्या के मन में, यह विचार आया कि, मुझे अपनी पुत्री का, विवाह तो करना ही है, फिर विद्युत्केश के साथ ही, क्यों न हो जाए।

यह निर्णय कर उसने अपनी पुत्री, विद्युत्केश को सौंप दी। विद्युत्केश ने सन्ध्या की पुत्री को, पाकर उसके साथ, वैसा ही व्यवहार किया जैसा, इन्द्र पुलोम-पुत्री शची, के साथ करते थे।

हे राम! जिस प्रकार मेघों की पंक्ति, समुद्र से जल ग्रहण करती है, उसी प्रकार संध्या की पुत्री, सालकंटा ने विद्युत्केश से, गर्भ धारण किया। तत्पश्चात् उस राक्षसी ने, मन्दराचल पर्वत पर जाकर, विद्युत जैसी कान्ति वाले, पुत्र को जन्म दिया।

जिस प्रकार गंगा ने, अग्नि के द्वारा छोड़े गए, शिव के तेज समान रूपी गर्भ, अर्थात् कुमार कार्तिकेय को, उत्पन्न किया था।

फिर वह पति विद्युत्केश के साथ, रति-क्रीड़ा करने के लिए, नवजात शिशु को छोड़कर, चल पड़ी तथा पुत्र का ध्यान भुलाकर, अपने पति के साथ, रमण करने लगी।

उस माता द्वारा यहां छोड़ा गया बालक, बादलों की भांति गरजने लगा। तत्पश्चात् उस बालक के शरीर की कान्ति, शरद्कालीन सूर्य की भांति, प्रतीत होने लगी।

अर्थात! वह नवजात बालक, अपने हाथों को मुंह में डालकर, धीरे-धीरे रोने लगा।

वीडियो देखें।

Rakshas Aur Yaksha Ka Janm Kaise Hua - राक्षस और यक्ष का जन्म कैसे हुआ?

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उस समय भगवान शिव, माता पार्वती के साथ बैल पर बैठे हुए, वायुमार्ग से जा रहे थे। तभी उन्हें एक बालक के रोने की, आवाज सुनाई दी।

तब उन दोनों ने उस, राक्षस-पुत्र की ओर देखा। माता पार्वती जी को, उस बालक के प्रति बहुत, करुणा और ममता, उत्पन्न हुई।

तब शिवजी ने उस बालक को, उसकी माँ की आयु के समान, वयस्क बना दिया। पार्वती का प्रिय होने के कारण, उन्होंने उस राक्षस-पुत्र को, एक नगर के समान आकार का, आकाशचारी विमान देकर, अमर भी बना दिया।

हे राजपुत्र! इसके पश्चात् पार्वती जी ने, यह वरदान दिया कि, आज से राक्षसियां शीघ्र ही, गर्भ धारण कर लिया करेंगी, और उनके द्वारा जन्मा बालक उसी समय, शीघ्रता से अपनी मां की आयु, के बराबर वयस्क बन जाएगा। 

वरदान के बल से गर्वित, तथा भगवान शिव के, ऐश्वर्य को प्राप्त करके, यह सुकेश नामक राक्षस, आकाशचारी विमान में विराजमान होकर, देवराज इन्द्र की भांति, सारी जगह विचरण करने लगा।

दोस्तों ये थी Rakshas Aur Yaksha की एतिहासिक कहानी। उम्मीद करता हूं कि Rakshas Aur Yaksha Ka Janm Kaise Hui आप जान गए होंगे।

Rakshas Aur Yaksha ki Kahani कैसी लगी कमेंट कर जरुर बताएं। ऐसे ही रोचक जानकारी के लिए जरुर संपर्क करते रहें। www.jaypandey.in पर अपना कीमती समय देने के लिए आपका धन्यवाद!
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