Intresting Facts of Shivling - शिवलिंग की वो सच्चाई जो सभी को जानना जरुरी है क्या है शिवलिंग?

Intersting Facts of Shivling - Shivling Ka Arth - Shivling Ki Utpatti Kaise Hui?
शिवलिंग क्या है कैसे हुई शिवलिंग की उत्पत्ति?
शिवलिंग की वो सच्चाई जो सभी को जानना जरुरी है! Intresting Facts of Shivling: शिवलिंग क्या है? शिवलिंग की उत्पत्ति कैसे हुई?

भगवान शिव का एक ऐसा रूप जिसे लेकर सभी लोगों के अंदर एक अजीब सा कशमकश रहता है, कि आखिर शिवलिंग का मतलब क्या होता है? क्या वाकई ये भगवान शिव का लिंग मात्र है या फिर कुछ और?

तरह तरह के लोगों द्वारा तरह तरह की जानकारियां दी गई हैं। कोई भगवान शिव के शिवलिंग को लिंग अर्थात् जननांग से इंगित करता है तो कुछ और।

लेकिन परम् सत्य तो ये है की भगवान शिव और उनकी कहानियां जितनी हम सभी को पता है वह एक तिल मात्र है। क्योंकि भगवान शिव और उनकी लीलाएं मात्र उन्हीं को पता है।

वो जिसे चाहें उसे ही अपने बारे में जानकारी दे सकते हैं यदि कोई ये कहे की मैं भगवान शिव को अच्छी तरह जानता हूं। तो वो बात सच नहीं है।

जिसका जीता जागता उदाहरण खुद शिवलिंग है जो आगे आप जानेंगे, इस पोस्ट के माध्यम से। क्योंकि बहुत भ्रांतियां फैली हुई हैं खासकर उन लोगों ने फैला रखी है जो धर्म के नाम पर अधर्म ही करते हुए व्यस्त रहते हैं।

लेकिन आज आपकी हर समस्या का समाधान हो जाएगा। फिर आप ये नहीं कह सकते कि आखिर शिवलिंग है क्या? आपसे एक विनम्र अनुरोध है कि यदि आप इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं तो, आप इसे आगे भी शेयर करें।

ताकि अन्य लोग भी जान सकें या आप स्वयं अपने घर परिवार में तथा छोटे बच्चों को जरूर बताकर धर्म का कार्य करें। जिससे उनके मन में कोई शक ना रहे।

नमस दोस्तों गहन अध्ययन के बाद आपके लिए कोशिश करूंगा कि बता सकूं कि शिवलिंग आखिर है क्या? शिवलिंग की पूजा कब से शुरू हुआ अर्थात् शिवलिंग का जन्म कैसे हुआ?

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शिवलिंग मूल रूप

शिवलिंग क्या है? शिवलिंग का मतलब क्या होता है?

दोस्तों शिवलिंग को जानने से पहले आपको संस्कृत भाषा जानना होगा। जी हां जैसा की आप जानते हैं संस्कृत हमारी प्राचीन भाषा है और कुछ तथाकथित लोगों के कारण प्रायः विलुप्त हो रही है।

अब शिवलिंग नाम तो पुराना है पर लोग नए हैं। इसलिए कोई लिंग तो कोई कुछ कह रहा है और जाहिर सी बात है जिस भाषा का आपको ज्ञान ही नहीं उसका कुछ भी अर्थ हो सकता है।

खैर बहुत हुआ आईए जानते हैं संस्कृत में शिव+लिंग का अर्थ। संस्कृत में शिव का अर्थ है "मंगल या कल्याण" और लिंग का अर्थ है "प्रतीक या चिन्ह"।

अब दोनों को मिलाने पर बनता है "कल्याण + चिन्ह या कल्याण + प्रतीक"। जिसे हम इस तरह कह सकते हैं "कल्याणकारी प्रतीक या कल्याणकारी चिन्ह"।

अब आइए दूसरे शब्द को भी समझ लेते हैं अर्थात् "मंगल" को। अगर हम मंगल को लेकर समझे तो "मंगल + चिन्ह या मंगल + प्रतीक" शब्द बनता है।

जिसे हम ऐसे संबोधित कर सकते हैं "मंगलकारी चिन्ह या मंगल का प्रतीक"। अब "मंगल" को समझने में दुविधा होती होगी, आईए उसको भी जान लेते हैं। "मंगल" का मतलब होता है "शुभता अर्थात् कल्याणकारी"।

शिवलिंग का ऊपरी अंडाकार भाग परशिव का प्रतिनिधित्व करता है व निचला हिस्सा यानी पीठम् पराशक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। परशिव परिपूर्णता में भगवान शिव मानव समझ और समस्त विशेषताओं से परे एक परम् वास्तविकता है।

इस परिपूर्णता में भगवान शिव निराकार, शाश्वत और असीम है। पराशक्ति परिपूर्णता में भगवान शिव सर्वव्यापी, शुद्ध चेतना, शक्ति और मौलिक पदार्थ के रूप में मौजूद है। पराशक्ति परिपूर्णता में भगवान शिव का आकार है परन्तु परशिव परिपूर्णता में वे निराकार हैं।

अभी समझ में आया होगा शिवलिंग का क्या अर्थ होता है? अर्थात् शिवलिंग का मतलब ही "कल्याण का प्रतीक या मंगलकारी चिन्ह" होता है और उसी का श्रद्धा से हम पूजन करते हैं।

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शिवलिंग का जन्म कैसे हुआ?

शिवलिंग का जन्म कैसे हुआ - शिवलिंग की उत्पत्ति कैसे हुई?

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अब आपके मन में आ रहा होगा कि आखिर शिवलिंग की उत्पत्ति कब हुई या मंगलकारी शिवलिंग का जन्म कैसे हुआ? आईए उसे भी जान लेते हैं। जिससे आपको संदेह ना हो भगवान शंकर को लेकर।

यू तो भगवान शिव आदि अनादि काल से मौजुद है परन्तु उनका पावन शिवलिंग पर कुछ कहानियां मौजुद हैं जो ये बताते हैं कि शिवलिंग का जन्म कब कैसे हुआ?

पौराणिक कथा के अनुसार सृष्टि रचना के बाद ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु जी में युद्ध हुआ कि आखिर दोनों में ज्यादा शक्तिशाली कौन है? तभी आकाश में एक चमकती हुई पत्थर जो की शिवलिंग था उत्पन्न हुआ।

आकाशवाणी हुई कि जो इस पत्थर का अंत खोज लेगा वही सबसे शाक्तिशाली होगा। फिर क्या था शुरू हुआ ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु जी में रेस शिवलिंग का अंत खोजने का।

लेकिन उस पत्थर का कोई अंत ही नहीं था जितना आगे बढ़ते पत्थर उतना ही बड़ा हो जाता लेकिन अंत नहीं होता था। दोनों लोग हार मानने को तैयार नहीं थे। लेकिन दोनों थक चुके थे।

इसलिए ब्रह्मा जी ने सोचा अगर मैं पहले हार मानूंगा तो विष्णु जी महाशक्तिशाली कहलाएंगे। इसलिए ब्रह्मा जी छल से बोले मैंने अंत खोज लिया मैं जीत गया।

तभी आकाश से फिर आवाज़ आई की शिवलिंग हूं मेरा कोई अंत नहीं। तभी भगवान शिव प्रकट हुए। तभी से शिवलिंग का जन्म हुआ और आज तक शिवलिंग की पूजा होती है।

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नीलकंठ महादेव

शिवलिंग पर जल क्यों चढ़ाया जाता है - शिवलिंग पर जल चढ़ाने का क्या फायदा?

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एक अन्य तथ्य के अनुसार शिवलिंग का इतिहास बहुत पुराना है अर्थात् कई हज़ार साल पुराना है। उसी समय देवताओं और दैत्यों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। जिससे रत्नों की प्राप्ति हुई खासकर ये मंथन अमृत के लिए किया गया था।

जिससे देवताओं को अमर किया जा सके। लेकिन जब समुद्र मंथन किया गया तो उसमें से अमूल्य रत्नों के साथ विष भी निकला जो हवा में मिलकर संपूर्ण संसार को मौत की नींद सुला रहा था।

जिससे सभी भयभीत होकर इधर उधर जान बचाकर भागने लगे। तब सभी के भय को हरने के लिए सबका कल्याण करने के लिए भगवान शिव ने उस ज़हर को पी कर और अपने कंठ में धारण कर लिया।

विष से उनका कंठ नीला पड़ गया और तभी से उन्हें "नीलकंठ" कहकर बुलाते हैं। लेकिन विष इतना उग्र था की विष की वजह से भगवान शिव का शरीर दग्ध हो उठा। तब सभी लोग उनके ऊपर जल डालने लगे।

तभी से परम् कल्याणकारी भगवान शिव को जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। भगवान शिव उसके बाद से ही शिवलिंग में परिवर्तित हो स्थापित हो गए। इसलिए आज भी शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है।

तो मित्रों ये थी शिवलिंग से जुड़ी कुछ खास बातें जिन्हें आपको जरूर याद रखना चाहिए। अपने घर में भी सबको ज़रूर बताना चाहिए क्योंकि आजकल हमारे धर्म पर आघात करने वाले कुछ ज्यादा हो गए हैं।

कृपा करके आगे भी शेयर करें या औरों को भी खुद भी बताएं और धर्म के मार्ग में एक सहायक बने। यदि कोई सुझाव या टिप्स हो तो ज़रूर कॉमेंट करे। किसी अन्य तथ्य पर जानकारी के लिए जरूर लिखें धन्यवाद।

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जय लक्ष्मीनारायण जी

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