Shivling Kya Hai - शिवलिंग क्या है?

।। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।।

Shivling Kya Hai हिन्दू खुद Shivling को भगवान शिव का गुप्तांग समझने लगे हैं और दूसरे हिन्दुओ को भी गलत जानकारी देने लगे हैं शिवलिंग क्या है जानते हैं?

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Shivling kya hai: शिवलिंग को गुप्तांग की संज्ञा कैसे दी। अब हम हिन्दू खुद Shivling को भगवान शिव का गुप्तांग समझने लगे हैं और दूसरे हिन्दुओ को भी ये गलत जानकारी देने लगे हैं।

प्रकृति से शिवलिंग का क्या संबंध है अर्थात् शिवलिंग का वास्तविक अर्थ क्या है और कैसे इसका गलत अर्थ निकालकर हिन्दुओं को भ्रमित किया जा रहा है?

नमस्कार दोस्तों मैं JAY PANDEY आपका स्वागत करता हूं आपके अपने ही ब्लॉग www.jaypandey111.blogspot.com पर। यूं तो शिवलिंग को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र और स्वयं भगवान शिव के रूप में पूजा जाता है।

लेकीन कुछ लोगों द्वारा Shivling को भगवान शिव का लिंग बताया जा रहा है। लेकीन क्या ये वाकई सही है, तो चलिए जानते हैं कि Shivling kya hai?

Shivling Kya Hai - शिवलिंग क्या है?

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कुछ लोग शिवलिंग की पूजा का आलोचना करते हैं। छोटे-छोटे बच्चों को बताते हैं कि, हिन्दू लोग लिंग और योनी की पूजा करते हैं। उन मूर्खों को संस्कृत का ज्ञान नहीं होता। अपने छोटे-छोटे बच्चों को हिन्दुओं के प्रति नफ़रत पैदा करके उनको आपसी दुश्मन बना देते हैं।

संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। इसे देववाणी भी कहा जाता है। आइए जानते हैं कि लिंग क्या होता है? लिंग का अर्थ संस्कृत में चिन्ह का प्रतीक होता है। जबकी जननेंद्रीय को संस्कृत मे शिश्न कहा जाता है।

शिवलिंग का अर्थ हुआ शिव का प्रतीक। जी हां दोस्तों पुरुषलिंग का अर्थ हुआ पुरुष का प्रतीक। इसी प्रकार स्त्रीलिंग का अर्थ हुआ स्त्री का प्रतीक और नपुंसकलिंग का अर्थ हुआ नपुंसक का प्रतीक।

अब यदि जो लोग पुरुष लिंग को मनुष्य की जनेन्द्रिय समझकर आलोचना करते है, तो वे बताये "स्त्री लिंग" के अर्थ के अनुसार स्त्री का लिंग होना चाहिए या नहीं।

शून्य, आकाश, अनन्त, ब्रह्माण्ड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने से इसे लिंग कहा गया है। स्कन्दपुराण में कहा गया है कि आकाश स्वयं लिंग है।

शिवलिंग वातावरण सहित घूमती धरती तथा सारे अनन्त ब्रह्माण्ड का अक्स अर्थात धुरी ही लिंग है। शिव लिंग का अर्थ अनन्त भी होता है अर्थात जिसका कोई अन्त नहीं है और ना ही शुरुआत।

Shivling ka matlab - शिवलिंग का मतलब?

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शिवलिंग का अर्थ लिंग या योनी नहीं होता। दरअसल यह गलतफहमी भाषा के रूपांतरण और कुछ सनातन धर्म विरोधियों के द्वारा हमारे पुरातन धर्म ग्रंथों को नष्ट कर दिए जाने पर तथा बाद में षडयंत्रकारी लोगों के द्वारा इसकी व्याख्या से उत्पन्न हुआ है।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि एक ही शब्द के विभिन्न भाषाओँ में अलग-अलग अर्थ निकलते हैं। उदाहरण के लिए यदि हम हिंदी के एक शब्द “सूत्र” को ही ले लें, तो सूत्र का मतलब डोरी या धागा और गणितीय सूत्र इसके अलावा कोई भाष्य अथवा लेखन भी हो सकता है।

जैसे कि नासदीय सूत्र, ब्रह्म सूत्र इत्यादि। उसी प्रकार “अर्थ” शब्द का भावार्थ तथा सम्पति भी हो सकता है और मतलब (मीनिंग) भी। ठीक उसी प्रकार शिवलिंग के सन्दर्भ में लिंग शब्द से अभिप्राय चिह्न, निशानी, गुण, व्यवहार या प्रतीक है।

धरती उसका पीठ या आधार है और सब अनन्त शून्य से पैदा हो उसी में लय होने के कारण इसे लिंग कहा है तथा कई अन्य नामों से भी संबोधित किया गया है। जैसे प्रकाश स्तंभ लिंग, अग्नि स्तंभ लिंग, उर्जा स्तंभ लिंग, ब्रह्माण्डीय स्तंभ लिंग।

ब्रह्माण्ड में दो ही चीजे हैं - ऊर्जा और प्रदार्थ। हमारा शरीर प्रदार्थ से निर्मित है और आत्मा ऊर्जा है। इसी प्रकार शिव पदार्थ और शक्ति ऊर्जा का प्रतीक बन कर शिवलिंग कहलाते हैं।

Shivaling ki Utpatti - शिवलिंग की उत्पत्ति

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ब्रह्मांड में उपस्थित समस्त ठोस तथा ऊर्जा शिवलिंग में निहित है। वास्तव में शिवलिंग हमारे ब्रह्मांड की आकृति है। शिवलिंग भगवान शिव और देवी शक्ति अर्थात पार्वती का आदि-अनादि एकल रूप है तथा पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतीक भी है।

अर्थात इस संसार में न केवल पुरुष का और न केवल स्त्री का वर्चस्व है दोनों सामान हैं। योनि अर्थात मनुष्ययोनि, पशुयोनी, पेड़-पौधों की योनी, जीव-जंतु योनि ईत्यादि। योनि का संस्कृत में प्रादुर्भाव प्रकटीकरण अर्थ होता है।

जीव अपने कर्म के अनुसार विभिन्न योनियों में जन्म लेता है। किन्तु कुछ धर्मों में पुनर्जन्म की मान्यता नहीं है नासमझ हैं बेचारे, इसीलिए योनि शब्द के संस्कृत अर्थ को नहीं जानते हैं। जबकी हिंदू धर्म मे 84 लाख योनि बताई जाती है।

यानी 84 लाख प्रकार के जन्म हैं। अब तो वैज्ञानिकों ने भी मान लिया है कि धरती में 84 लाख प्रकार के जीव, पेड़, कीट, जानवर, मनुष्य आदि है। पुरुष और स्त्री दोनों को मिलाकर मनुष्य योनि होता है।

अकेले स्त्री या अकेले पुरुष के लिए मनुष्य योनि शब्द का प्रयोग संस्कृत में नहीं होता है। तो कुल मिलकर अर्थ यह है कि लिंग का तात्पर्य प्रतीक से है ना कि लिंग अर्थात शिश्न से।

Shivling ka vastvik arth - शिवलिंग का वास्तविक अर्थ

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Shiv Ling का मतलब है पवित्रता का प्रतीक। दीपक की प्रतिमा बनाये जाने से इस की शुरुआत हुई, बहुत से हठयोगी दीपशिखा पर ध्यान लगाते हैं। हवा में दीपक की ज्योति टिमटिमा जाती है और स्थिर ध्यान लगाने की प्रक्रिया में अवरोध उत्पन्न करती है।

इसलिए दीपक की प्रतिमा स्वरूप Shivling Ka Nirman किया गया। ताकि निर्विघ्न एकाग्र होकर ध्यान लग सके। लेकिन कुछ विकृत काल व गंदी मानसिकता वाले लोगों के गंदे दिमागों ने इसे गुप्तांगो की कल्पना कर ली और झूठी कुत्सित कहानियां बना ली।

इसके पीछे के रहस्य की जानकारी न होने के कारण अनभिज्ञ भोले हिन्दुओं को भ्रमित किया गया। आज भी बहुतायत हिन्दू इस दिव्य ज्ञान से अनभिज्ञ है।

हिन्दू सनातन धर्म व उसके त्यौहार विज्ञान पर आधारित है, जोकि हमारे पूर्वजों, संतों, ऋषियों-मुनियों, तपस्वीयों की देन है। आज विज्ञान भी हमारी हिन्दू संस्कृति की अदभुत रहस्यों को सराहनीय दृष्टि से देखता है व उसके ऊपर रिसर्च कर रहा है।

Conclusion

तो दोस्तों अब शायद आपके मन में Shivling kya hai इसका अर्थ समझ में आ गया होगा। मैं भी उम्मीद करता हूं कि मैं आपको अच्छे से बता पाया हूं।

आप सभी शिव-भक्तों हिन्दू सनातन प्रेमियों से प्रार्थना है, यह Shiv Ling के बारे में जानकारी को शेयर करें, ताकि सभी को यह जानकारी मिल सके।

जिन्होंने षड्यंत्र के तहत हमारे अन्य लोगों में फैला दी थी। उम्मीद करता हूं यह पोस्ट आपको अच्छी लगी होगी। अपना कीमती समय देने के लिए आपका धन्यवाद!


2 टिप्पणियाँ

जय लक्ष्मीनारायण जी

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जय लक्ष्मीनारायण जी

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